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Aarti Timing

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पूजन काल

मदन मोहन मंदिर में प्रतिदिन चार बार विधिपूर्वक भोग लगाने की प्रथा है। इसे भोग लगाने का समय या पूजन समय भी कहा जा सकता है। भोग दो प्रकार के लगते हैं :

  • 1. बाल भोग
  • 2. महाभोग
बाल भोग
बाल भोग
बाल भोग सुबह 9.00 तथा शाम 7.00 बजे लगाया जाता है जिसमें भोग के रूप में सूखे मेवे, मूँगफली, मिश्री, इलाइची दाना, फल, मिष्ठान्न एवं दूध निर्मित वस्तुएँ होती हैं। प्रतिदिन बाल भोग को विधिपूर्वक पूजन के पश्चात चढाया जाता है और भक्तों के बीच प्रार्थना और आरती के बाद वितरित किया जाता है।
सुबह 9.00 तथा शाम 7.00 बजे
महाभोग
महाभोग
महाभोग भी प्रतिदिन दो बार लगाया जाता है। दोपहर 1.00 बजे एवं रात्रि 9.00 बजे। प्रतिदिन पुजारी परिवार मदन मोहन स्वामी के भोग के लिए पवित्र एवं प्रसन्न भाव से नैवेद्य तैयार करता है जिसे 'आमान्य भोग' कहा जाता है। इसमें अरवा चावल का भात, दाल, सब्जियाँ और खीर आदि का नैवेध दिन में 1.00 बजे चढ़ाया जाता है तथा रात्रि 9.00 बजे भगवान के शयन काल के पूर्व विविध प्रकार के पकवान पुआ-पुड़ी/दूध-रोटी/खीर-रोटी अर्पित किया जाता है।
दोपहर 1.00 बजे एवं रात्रि 9.00 बजे
पूजन व्यवस्था

लक्ष्मी नारायण तिवारी के वंशजों के द्वारा मंदिर में पूजन व्यवस्था की जाती है। प्रत्येक परिवार पारी/बारी व्यवस्था से प्रतिबद्ध एवं आबद्ध है। भोग के लिए सभी की तिथि निश्चित है जिस दिन उक्त परिवार द्वारा भोग के लिए नकद राशि या कच्ची सामग्री मंदिर के पुजारी तक पहुँचा दी जाती है। प्रत्येक परिवार इसे अपना कर्तव्य समझ कर सतत इस व्यवस्था का कड़ी बना हुआ है और स्वयं को धन्य मानता है। त्योहारों या विशिष्ट संस्कारों के अवसर पर प्रत्येक परिवार मंदिर के लिए पकवान बनाकर नैवेद्य रूप में पहुँचाता है जिसका विधिवत मदन मोहन स्वामी को भोग अर्पित किया जाता है।

अन्य ग्रामीण भी अपने किसी भी अनुष्ठान में या संस्कार में मदन मोहन स्वामी के लिए नैवेद्य अवश्य प्रदान करते हैं। किसी भी प्रकार का नवान्न एवं नई सब्जी मंदिर को प्रथमतः अर्पित कर ही स्वयं उपयोग किया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है बोड़ेया एवं आस-पड़ोस के ग्रामवासी मदन मोहन के अटूट भक्त हैं, इनके प्रति सबकी अखण्ड आस्था है और सभी लोग मदन मोहन को अपने हृदय में बसाये रखते हैं।