मंदिर के गर्भगृह में पुजारी के अतिरिक्त किसी का भी प्रवेश निषेध है। विशेषकर महिलाओं के लिए (लक्ष्मी नारायण तिवारी के वंशजों में) गर्भगृह में प्रवेश पूर्णतः निषिद्ध है। लेकिन परिवार में किसी कन्या के विवाह होने पर विदाई के पूर्व गर्भगृह में नव दम्पत्ति प्रवेश कर पूजन करते हैं जिसमें कन्या राधा रानी को सिंदूर अर्पित करती है। इसके बाद प्रवेश की मनाही है।
जब परिवार में किसी लड़के का विवाह होता है तो बारात लौटने पर कुलदेवी पूजन के दिन पूजा के पश्चात नवदम्पति गर्भ गृह प्रवेश कर पूजा करते हैं तथा राधारानी को सिंदूर अर्पित करते हैं। इसके बाद वह बहू फिर कभी गर्भगृह में कदम नहीं रखती है। यह प्रथा तिवारी परिवार के लिए आदि काल से चली आ रही है। अन्य ग्रामीणों के बीच भी यह प्रचलित है कि कोई भी नववधू का प्रवेश घर में मदन मोहन स्वामी के दर्शन के पश्चात ही होता है। मदन मोहन स्वामी के प्रति ग्रामीणों के हृदय की यह श्रद्धा आह्लादकारी है।